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आपराधिक न्‍याय व्‍यवस्‍था की महत्‍वपूर्ण कड़ी अभियोजन है, पुलिस विभाग में अन्‍वेषण विंग को लॉ एण्‍ड आर्डर से पृथक किया जाना चाहिए- जस्टिस श्री विजय कुमार शुक्‍ला

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drms news (शहडोल)। माननीय न्यायमूर्ति इंदौर खंडपीठ श्री विजय कुमार शुक्ला के मुख्य आतिथ्य में एक दिवसीय संभागीय कार्यशाला अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के विषय पर संचालक लोक अभियोजन बी0एल0 प्रजाप‍ति के मार्गदर्शन में,  प्रभारी जिला अभियोजन अधिकारी जिला शहडोल श्रीम‍ती कविता कैथवास की अध्‍यक्षता में जिला अभियोजन संचालनालय शहडोल द्वारा 23 फरवरी 2025 को आयोजित किया गया। 

अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के विषय पर  एक  दिवसीय कार्यशाला आयोजित

कार्यशाला में माननीय न्यायमूर्ति ने अपने उद्बोधन में  यह बताया गया कि भारत में प्राचीन काल से कार्य के आधार पर जातियों का बंटवारा किया गया था, बाद में इसी को अनुसूचित कर  अनुसूचित जाति एवं जनजातियों की सूची तैयार की गई थी, आपराधिक न्‍याय व्‍यवस्‍था की महत्‍वपूर्ण कड़ी अभियोजन है। 

अभियोजन की शुरूआत प्राचीन काल से हुई है, महाभारत काल में द्रोपदी चीर हरण के समय बिदुर द्वारा लोक अभियोजन की भूमिका निभाते हुये चीर हरण का विरोध किया गया था। 

धीरे-धीरे अभियोजन का विकास होते हुये अभियोजन आज अपने वर्तमान स्‍तर में पहुंचा है जो न्‍याय दान में न्‍यायालय की सहायता करता है समाज प्रगति शील होता है समाज मे संशोधन होना अत्‍यंत आवश्‍यक होता है हमारा आपराधिक न्‍याय प्रणाली इस आधार पर कार्य करता है कि every accused is innocent  सभी कानून इस पर ही आधारित है। 

माननीय न्‍यायमूर्ति ने अनूसूचित जाति/जन‍ातियों  के प्रकरणों की विवेचना में की  जा रही कमियों को उल्‍लेख करते हुये उन्‍हें दूर करने के कई सुझाव दिये गये। उनके द्वारा कहा गया कि इस प्रकार के कार्यक्रामों का आयोजन आवश्‍यक होता है, जिससे अधिकारियों में कार्य करने की उर्जा प्राप्‍त होती है। 

संभागीय जनसम्‍पर्क अधिकारी अभियोजन नवीन कुमार वर्मा न बताया कि कार्यशाला में संभाग के तीनों जिलों के समस्‍त अभियोजन अधिकारियों एवं पुलिस के अनुविभागीय स्‍तर एवं निरीक्षक स्‍तर के विवेचना अधिकारियों ने प्रशिक्षण प्राप्‍त किया। कार्यक्रम में मंच संचालन प्रकाश चंद सोनी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी जिला उमरिया द्वारा किया गया तथा स्वागत भाषण श्रीमती कविता कैथवास प्रभारी जिला अभियोजन अधिकारी शहडोल द्वारा दिया गया, श्रीमती कविता कैथवास के द्वारा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के वर्ष 2024 में न्‍यायालय द्वारा निराकृत प्रकरणों का ब्‍यौरा प्रस्‍तुत किया गया और माननीय न्‍यायमूर्ति न्‍यायधिपति श्री विजय कुमार शुक्‍ला द्वारा अपने व्‍यस्‍ततम समय से समय निकाल कर जिला अभियोजन संचालनालाय के कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिये अभार प्रकट किया।  

विशेष न्यायाधीश महोदय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम शहडोल श्री सुभाष सोलंकी  द्वारा साक्ष्‍य प्रस्‍तुतीकरण के दौरान पुलिस/ अभियोजन द्वारा की गई त्रुटियों पर सुधार के सबंध में व्‍यखायान दिया गया। 

राज गौरव तिवारी एडीपीओ अनूपपुर द्वारा अभियोजन की कार्य प्रणाली एवं अभियोजन का संक्षिप्‍त इतिहास पर व्‍यख्‍ययान दिया गया। सूर्य प्रसाद पाण्‍डेय वरिष्‍ठ अभियोजन अधिकारी जिला रीवा के द्वारा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम पर व्‍यख्‍यान दिया गया। 

वैज्ञानिक अधिकारी पुलिस अधीक्षक कार्यालय प्रदीप पोर्ते द्वारा घटना स्‍थल से साक्ष्‍य संकलन पर व्‍यख्‍यान दिया गया तथा डॉ. हर्षिता सिंह प्राध्‍यापक बिरसां मुंडा चिकित्‍सा महाविद्यालय जिला शहडोल द्वारा मानसिक तनाव प्रबंधन पर व्‍यख्‍यान दिया गया।   

कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय श्री हितेंद्रनाथ मिश्रा, कमिश्नर शहडोल संभाग सुरभि गुप्ता, पुलिस उपमहानिरीक्षक महोदया शहडोल जोन सुश्री सविता सुहाने, कलेक्टर केदार सिंह, विशेष न्यायाधीश महोदय sc/st act शहडोल श्री सुभाष सोलंकी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महोदय शहडोल श्री राजेन्‍द्र सिंह सिंगार, रामजी श्रीवास्तव पुलिस अधीक्षक जिला शहडोल, मोति-उर रहमान पुलिस अधीक्षक जिला अनूपपुर, जिला शहडोल न्यायालय के समस्त न्यायिक मजिस्ट्रेट महोदय विशिष्‍ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।  

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