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समाज सेवी भूपेश शर्मा व जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में रामपुर, एस ई सी एल के मनमानी रवैया को लेकर बैठक आयोजित

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drms news (शहडोल)। रामपुर प्रभावित किसानों ने आकस्मिक बैठक बुलाकर जनपद सदस्य चंद्र कुमार तिवारी के अध्यक्षता में व सामाजिक कार्यकर्ता भूपेश शर्मा व जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में बैठक आयोजित हुई।

बैठक के मुद्दे विशेष रूप से रामपुर बटुरा खुली खदान परियोजना प्रभावित किसान लगातार 2009 -10, से संघर्षरत हैं और एसईसीएल कुंभकरण नीद में सो रहा है, की जानकारी देते हुए जनपद सदस्य चंद्र कुमार त्रिपाठी, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती शांति मनमोहन चौधरी, गांव के ही वरिष्ठ आनंद त्रिपाठी, भूपेश शर्मा, सरपंच श्रीमती प्रीमियम बैगा, उपसरपंच राजाराम मिश्रा, पूर्व जनपद सदस्य नेमसाय, राजू सोनी, पूर्व सरपंच झोले बैगा, पूर्व सरपंच नानसाय बैगा, पूर्व सरपंच प्रमोद बैग, पूर्व उप सरपंच रमेश साहू सहित अन्य संस्थान संगठन के साथियों के द्वारा समर्थन करने हेतु प्रगतिशील लेखक संघ एवं संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा रामपुर खाड़ा बेलिया के प्रभावित किसानों के समर्थन में अपना वक्तव्य जारी किया है।

उन्होंने कहा है यह लड़ाई सिर्फ रामपुर कोडयली, बेलिया अतरिया, खैरबना, बिछिया, भटूरा, का ही नहीं है, बल्कि यह समझे किसान जगत का है यह हमारी सब की लड़ाई है इस बार जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होगी तब तक खदान बंद रहेगा। इस पूरे बैठक का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता भूपेश शर्मा की। 

सभी ने 2 मिनट का मौन रखकर मृतक आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर दी श्रद्धांजलि 

बैठक के पूर्व  वरिष्ठ साथी भाजपा नेता सांसद प्रतिनिधि सामाजिक कार्यकर्ता राज कमल मिश्रा के माता जी 76 वर्ष की पूर्ण करने उपरांत आकस्मिक निधन हुआ जिसको लेकर समस्त जनप्रतिनिधि एवं वरिष्ठ जनों ने शोक सभा आयोजित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया और देश के पुलवामा में आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई 2 मिनट का मौन रखकर मृतक आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई एवं शोका कुल परिवार के प्रति सभी ने दुःख प्रकट किया। तत्पश्चात बैठक की कार्रवाई प्रारंभ हुई सर्वप्रथम एसईसीएल से परेशान किसान संपूर्ण खदान बंद करने का लिया निर्णय लिया।

बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई सर्वप्रथम पुनर्वास पुनर्स्थापना परसंपत्ति की मुआवजा जो कि लंबे समय से रुका हुआ है, इसे पूरा किया जाए इसके पश्चात एसईसीएल के भूल बस अधिग्रहित जमीन जिनका मुआवजा किसानों को भुगतान किया जा चुका है वह जमीन अभी भी नोटिफिकेशन से बाहर है। कितनी बड़ी चूक है उसका भी परिणाम किसान भोग रहा है। 10 वर्ष पहले अधिग्रहण हुआ था 2016 में मुआवजा भुगतान हुआ, इसके बाद से अभी भी किसान रोजगार के लिए वांछित है इसका जिम्मेदार कौन ….? 

रोजगार के फाइलों को कुंवारी की महामारी बात कर लंबे समय तक कुछ फाइल उदाहरण स्वरूप मिलेंगे जो दो से तीन वर्ष तक पेंडिंग है। किसानों का कहना है जमीन हमारी है रोजगार भी हमें चाहिए किसी प्रकार से कोई बहाना नहीं चलेगा। इसके साथ ही धोखे से रोजगार आ जाता है तो साक्षात्कार मेडिकल न्यूट्रिशन को लेकर कई माह लग जाते हैं। 

इस बैठक में यह भी पीड़ित किसानों ने प्रबंधन पर आरोप लगाया कि जानबूझकर साजिश के साथ पैसे का खेल खेलने के लिए मेडिकल अनफिट किया जाता है और अपेक्स बोर्ड बैठक लंबी राशि की मांग की जाती है और उन्हें बाजार का धमकी दिया जाता है की बताओगे तो पैसा देने के बाद भी फेल हो जाओगे। एक कहावत है पुरानी कहावत जबरा मारे रोवे न दे, इसके साथ जिन किसानों के अस्तित्व को रोजगार दे दिया गया है उनके साथ लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। 

यहां झूठा आश्वासन देकर कागज के घोड़े दौड़ाना नहीं मानते हैं और अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए आंदोलन के समय फोटो खींचकर उन्हें धमकाया जाता है और धमकाया ही नहीं जाता है, बल्कि जानबूझकर यहां से लेकर जहां-जहां भी रामपुर के आश्रित रोजगार में हैं सब जगह परेशान किया जा रहा है। खुली किताब है कभी भी जानकारी ली जा सकती है हम ऐसा कौन सा अपराध कर दिए हैं, अपना पुश्तैनी जायदाद देकर भी डर-डर के टुकड़े खा रहे हैं। 

इसलिए इस बार रामपुर के किसानों ने कहा है की अंग्रेजों की चाल नहीं चलेगी फूट डालो और राज करो इस बार सर्वदलीय मंच बनेगा और जब तक एक-एक रोजगार एक-एक मुआवजा पुनर्वास और पुनर्स्थापना की संपूर्ण कार्रवाई नहीं होती है तब तक के लिए संपूर्ण खदान बंद रहेगा।

इसके अतिरिक्त जो बच्चे हमारे सोहागपुर एरिया में अपने खर्चे से अपने सुरक्षा से गलती से आ गए हैं, उन्हें और बहुत बड़ी सजा मिल रही है। खदान में भेज कर जानबूझकर परेशान किया जा रहा है कुछ ऐसे ही बच्चे हैं जो वास्तविक मेडिकल अनफिट है उन्हें भी नहीं बक्शा जा रहा है‌।

बैठक की चर्चा में यह बात खुल कर सामने आई की खैरहा, दामिनी, राजेन्द्र, के सभी सब एरिया मैनेजर शिफ्ट इंचार्ज और मैनेजर ने निश्चय कर रखा है या की जो हम कह रहे हैं वह करिए घर आने का शौक पा लिया तो कम करो जो हम कहते हैं वह करो नहीं वापस उसे कुसमुंडा जाओ, हमारे एकाद दो बच्चों को वापस कुसमुंडा भेज दिया गया, जो घोर अत्याचार के श्रेणी में आता है, मानवता को शर्मसार कर देने की बात हो रही है। 

अपना जमीन अपना घर बार देकर अपने परिवार को छोड़कर आज हमको यह दिन देखने को मिल रहा है। क्या इसके लिए हम नौकरी करने आए हैं‌। इसके लिए खुली चेतावनी किसानों ने दिया है कि खदान बंद करिए और वापस जाइए हमें नौकरी नहीं करना है। 

हमारे यहां के बच्चों को रोजगार मिला है, उन्हें शिफ्ट में ड्यूटी दी जाती है रामपुर में रोड  नहीं है, इसलिए रोडवेज की बसें मिनी बसे यहां पर आ नहीं सकते हैं और सभी के पास साधन नहीं है। सच कहें तो दो-तीन बच्चे इस नौकरी में कुर्बान हो गए कुसमुंडा से रामपुर आने जाने समय एक्सीडेंट से मृत्यु हो गई। आखिरकार इसकी जिम्मेदार कौन..? 

एसईसीएल के बने क्वार्टर में जो, जिम्मेदार लोग हैं, वह क्वार्टर अपने रिश्तेदारों को परिवार को दोस्तों को देकर व्यवहार निभा रहे हैं और जो वास्तविक रूप से इसके पात्र है वह दर भटक रहे हैं सोहागपुर एरिया में कितने आवेदन कब से लगे हैं, इसकी तहकीकात की जाए तो देखकर बहुत स्तब्ध रह जाएंगे। वर्षों से कमरे के लिए आवेदन लगा है, कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है, क्या हमको यही दिन देखना था ..? 

सभी जनप्रतिनिधियों एवं किसान नेताओं ने संयुक्त रूप से चेतावनी दी है एक सप्ताह के अंदर समस्या का समाधान नहीं होता है तो शांति में तरीके से संपूर्ण खदान को बंद कर बैठ जाएंगे जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक खदान बंद रहेगा, जिसकी जिम्मेदारी शासन एवं प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन की होगी। बैठक में आदित्य त्रिपाठी, मूलचंद गुप्ता, रमाकांत मिश्रा, संदीप रजक, रामाधार गुप्ता, गुड्डू, दीपक एवं अन्य ग्रामीणजन उपस्थित रहे।

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