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drms news (अनूपपुर) सीबीएसई बोर्ड और प्रदेशों के शिक्षा बोर्ड 10 वीं और 12 वीं का परीक्षा परिणाम घोषित हो चुका है।समाचारपत्रों से लेकर सोशल मीडिया में मेरिट और सर्वाधिक अंकों की मार्कशीट डालकर बधाई दी गई है जिसका समाजसेवी जीवेन्द्र सिंह ने कहा कि उसका स्वागत है, लेकिन बहुत से अभिभावक अपने बच्चों के अच्छे परिणाम के बावजूद निराश हैं क्योंकि उनका बच्चा प्रतिस्पर्धा में किसी अन्य बच्चे के मुकाबले से थोड़ा सा पीछे है।
समाजसेवी जीवेन्द्र सिंह आगे कहा कि 60% - 70% - 80% - 90%, यहाँ तक कि 95% ऊपर अंक पाने वाले बच्चों के अभिभावकों में गहरा दुख का भाव देखा जा रहा है, वजह मात्र एक ही है कि उनके बच्चे से अधिक किसी अन्य बच्चे का अंक है। इसके लिए हमें स्कूल /घर/गाँव/ शहर का शैक्षणिक माहौल भी देखना चाहिए। परिस्थितियों के साथ ही साथ उपलब्ध संसाधनों का भी मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है।
श्री सिंह ने कहा कि इन परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के कलेक्टर शिशिर त्रिपाठी का अभिनंदन करता हूँ जिन्होंने अपने जिले के निजामाबाद गाँव के रामकेवल कोल को मात्र 53% अंक से पास होने पर सम्मानित किया है।आजादी के बाद अपने गांव में मैट्रिक परीक्षा पास करने वाला पहला छात्र है रामकेवल। छात्रों की परिस्थितियों का भी मूल्यांकन होना चाहिए, कोई छात्र 20 किलोमीटर पैदल चलकर या साइकिल से रोज स्कूल जाता है तो कोई मोटर कार से, किसी बच्चे को परीक्षा फीस जमा करने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ती है या ट्यूशन पढाकर पढाई का खर्च निकालना पडता है।
अनेकों छात्रों को स्वयं खाना बनाना पडता है किताब / कापी / पेन , पेसिंल - स्टेशनरी तक के पैसे नही रहते हैं।वहीं दूसरी ओर इन सभी समस्याओं और आर्थिक तंगी से मुक्त बच्चे भी होते हैं ।
उन्होंने कहा कि कई बच्चे बहुमुँखी प्रतिभा के धनी होते होते हैं खेल -कूद, संगीत , सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ साथ पढ़ाई करते हैं क्योंकि बच्चों का चहुंमुखी विकास आवश्यक है वहीं कुछ अभिभावकों का फोकस केवल बच्चे के पर्सेंटेज बढाने के लिए होता है, मूल्यांकन प्रतिभा का होना चाहिये।रामकेवल बिना जूता के स्कूल जाता था पहली बार जूता कलेक्टर कार्यालय जाने के दिन पहना।
स्कूल के प्राचार्य वी.के. गुप्ता ने नया कपड़ा और जूता- मोजे खरीद कर दिया। माँ - बाप के पास घर से कलेक्ट्रेट जाने तक के पैसे नहीं थे। अपने घर खर्चा और परीक्षा फीस की पूर्ति के लिए रामकेवल रोड लाइट जो कि शादियों में इस्तेमाल किया जाता है में काम किया है ,माँ रसोइया - पिता दिहाड़ी मजदूर हैं, घर में बिजली का कनेक्शन नहीं है। सोलर लाइट के नीचे पढ़ाई किया है।
रामकेवल का 53% परीक्षा का मूल्यांकन है, लेकिन परिस्थितियों का मूल्यांकन कौन करेगा.....? हर बच्चा प्रतिभाशाली है, योग्य है उसका मनोबल बढाइए । सोशल मीडिया में उसकी अंक सूची डालकर बधाई दीजिये, आसपास, पड़ोसियों, रिश्तेदारों के साथ मिलकर खुशियां मनाइए। मैट्रिक परीक्षा में फेल छात्र भी आगे चलकर IAS / IPS अधिकारी बने हैं। समाज के विविध क्षेत्रों मे मुकाम हासिल किया है।
समाजसेवी जीवेन्द्र सिंह का मानना है कि कई बार देखा गया है कि जिंदगी के इम्तिहान मे 45% अंक पाने वाला 95% सफल है और 90% पाने वाला 40% भी सफल नहीं है। सभी उत्तीर्ण छात्रों और उनके शिक्षकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। यह आपके दृढ इच्छाशक्ति, कठिन परिश्रम का परिणाम है।असफल विद्यार्थियों को भी हौसला बनाएं रखते हुए आगामी अवसरों का लाभ उठाना चाहिए।
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